बना बनाकर चित्र सलोने
यह सूना आकाश सजाया
राग दिखाया रंग दिखाया
क्षण-क्षण छवि से चित्त चुराया
बादल चले गए वे।
आसमान अब नीला- नीला
एक रंग रस श्याम सजीला
धरती पीली हरी रसीली
शिशिर- प्रभात समुज्ज्वल गीला
बादल चले गए वे।
दो दिन दुःख के दो दिन सुख के
दुख- सुख दोनों संगी जग में
कभी हास है कभी अश्रु है
जीवन नवल तरंगी जग में
दो दिन पाहुन जैसे रह कर
बादल चले गए वे।
- त्रिलोचन
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