Corona Pal Poem कोरोना पल कविता

Corona Pal Poem कोरोना पल कविता

Corona Pal Poem    कोरोना पल कविता


  कोरोना पल


एक दिन ऐसा समय आया

सारी दुनिया में कोरोना छाया।

        आंखों के सामने अंधेरा छाया

         जीवन की इस उथल- पुथल में।।

कितने लोग अपने - अपनों से दूर हो गए,

कितने मर गए भूखे प्यासे ,

 कितने बिछड़ गए अपनों से ।।

बसे थे जो घर से दूर शहरों में,

घर को आने को तरस गए।।

           मिलना था उन्हें अपनो से,

          बन्द पड़े थे सब परिवहन,

          फिर चल दिए वहां को जहां से हुए थे अपनों से दूर।।

          पैरों में पड़ गए छाले, बहते रहे रक्तो की धारा,

फिर भी ना रूके, फिर भी ना मुड़े ,

क्या छोटे क्या बड़ों के पग , 

 कतारो में पग पर पग दिए चलते रहे, 

गर्भवती मां अपनी ममता की वजन को सहती

चलती जाती,

चलते रहे भूखे - प्यासे कई दिनों और महीनों तक।

       हर पल लगता आँखो के आगे अंधेरा छाया,

      अपने ही अपनो से रहते दूर,

आस - पास के लोग भी रहते है अपनो से दूर।

  कई लोगों के अन्दर एक डर बसा था की,

हम अगर गए किसी को अपनाने, 

क्या पता कल को हम भी हो जाए अपनों से दूर।


महामारी के इस पल में अपने ही अपनो को गले लगाना भूल गए,

दूर से करने लगें नमन।

मानव प्राणी, जीव - जन्तु और पशु- पक्षी में 

हहा - कार सी मच गई,

दाना - दाना को तरसे जीव - जन्तु और प्राणी।

पञ्च तत्वों से बना यह प्राकृति , कुछ ही दिनों में हो गए विषेला।

मानव प्राणी के तीन रत्न रोटी, कपड़ा और मकान,

तन पर चढा कपड़ों का डर,

बहती हवा विषेली सांसो का डर,

खाद पदार्थ विषेले पड़े खाने का डर।

   

  जीवन जिएं तो कैसे जिएं, घर के बाहर कॉरोना का डर।

भगवान् के रूप में मानव रूपी चिकित्सक धरा पर,

हाथ पर हाथ दिए खड़े उस पल की वो तलाश करते

 जिस पल के लिए है सब तरसे।

अज्ञानी थे हम उस औसधी से जिससे होते दुःख यह दूर।


कैद हुए हम अपने ही घर में,

जीव - जन्तु सब जंगल छोड़े,

भाग आए शहरों और सड़क पर।


     हमलोगो ने किया है एक गलती,

पेड़ - पौधो को काट गिराया,

बना लिया एक बस्ती।


     एक दिन हमने जीव - जन्तु के पाठशालाओं को उजाड़ कर बंद किया,

उस जगह बनाए थे जो पाठशाला अपने लिए, वो भी आज बंद पड़ा।

बूंद भर ज्ञान को पाकर करते रहे इस प्रकृति को छीन,

जीवन की इस प्रलय को सब लोगों ने कैसे - कैसे झेले।।


       ~ मनोज (manojavam Classes)






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