'हरी' लेखक मनोज कुमार (Manojavam Classes )

'हरी' लेखक मनोज कुमार (Manojavam Classes )







  हरी

आज दिनांक 27-05-2025 दिन मंगलवार ठीक सुबह 9:00 AM में नित्य क्रिया, स्न्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहन कर मंगल व्रत के साथ सीधे हनुमान जी के मंदिर दर्शन के लिए निकल पड़ा। रास्ते में मिठाई के दुकान से भोग के लिए लड्डू, सिंदूर, मौली लेकर मंदिर पहुँच गया। लड्डू का हनुमान जी को भोग लगाया और सुन्दर कांड 10:00 AM से 12:15 PM में पूरा पढ़ने के बाद प्रसाद लिया पंडित जी से हाथ में रक्षा सूत बंधवाया और ग्यारह रुपया का दक्षिणा देकर वहाँ से रोज की तरह आज भी हम पार्क (....) गए। 

वहाँ हमारा इंतज़ार 'हरी' 🐿️ कर रहा होता है सच बात तो ये है की मैं भी उससे मिलने के लिए बेताब हूँ। दरअसल हरी कोई और नहीं पार्क में रहने वाले सभी गिलहरी 🐿️ हैं जिसे मैं हरी 🐿️ नाम से बुलाता हूँ। यही कुछ दस दिन पहले की बात है मैं पार्क में घास के तिनके पर बैठा था और आस - पास के वातावरण को देख रहा था तभी एक नन्हा, प्यारा सा गिलहरी पर मेरी नजर पडती है फिर मै अपने बैग से मकुन्दाना निकालकर उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाता हूँ। कुछ देर तक वो मेरी ओर देखने के बाद धीरे- धीरे मेरे हाथ के पास बैठ कर वो मकुन्दाना खाने लगता बिना किसी डर के जैसे मानो उसे मुझ पर पूरा विश्वास हो गया हो की मैं उससे मित्रता कर सकता हूँ। दो चार दाना खाने के बाद वो वहाँ से चला जाता है। उस दिन के बाद मैं उसी अशोक के वृक्ष की छाँव में घास के तिनके पर लेट गया। कुछ देर बाद वो अशोक की वृक्ष से मुझे देखने के बाद सीधे मेरे पैर के अंगुली में अपने हाथ से छूता है, मैं अचनाक से उठ कर बैठ जाता हूँ तभी मेरी नजर उस नन्हे से हरी पर पड़ती है। 

मानो ऐसे की उस दिन से मुझे वो पहचानता हो और हम से खाने को कुछ मांग रहा हो। मैने भी बिना देरी किये अपने बैग से प्रसाद के वो मोतिचूर के लड्डू निकाल कर अपने हाथो से उसे इसारा करते हुए उसे हरी हरी... कह कर अपने पास बुलाता हूँ और वो मेरे पास आकर मेरे हाथ के अंगूठे को चाटने के बाद मेरे उंगलियों के पास बैठ कर लड्डू के दाने उठा - उठा कर खाने लगता हैं और फिर मैं अपने बाए हाथ से मोबाइल लेकर उसका ये दृश्य का वीडियो बनाने लगता हूँ। कुछ देर बाद उसे खाते देख कर पास के कुछ गिलहरीयाँ और आ जाती है और उसी तरह बैठ कर मेरे पास लड्डू खाने लगता है। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब ये मेरे पास आकर खाते है। लड्डू पुरे अपने मनभर खाने के बाद वो फिर अशोक के वृक्ष पर चला जाता है। मैं भी अपना हाथ पानी से धोने के बाद वहाँ सो जाता हूँ। चार घंटे सोने के बाद मैं वहाँ से अपने विद्यार्थी को पढ़ाने निकल जाता हूँ। और मैं अपने विद्यार्थी को ये वीडियो और ये सारी घटना का दृश्य बताता हूँ वो लोग बहुत खुश होते है और कहते है आपने सर हमलोगो को गिलू के बारे में पढ़ाया है जिसे लेखिका महादेवी वर्मा जी ने लिखी है आपका भी प्रेम और सनेह उन्ही की तरह दिख रहा है। सर आप भी इस दृश्य के बारे में कहानी लिखिए मैने कहा मैं तो ये बात पहले दिन से ही सोच रहा हूँ जिस दिन हरी से पहली मुलाक़ात में दोस्ती हो गया। अब मैं जब भी पार्क जाता हूँ तो कुछ न कुछ उसके लिए जरूर ले कर जाता हूँ।

~मनोज कुमार ( मनोजवं क्लासेज )



 

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