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अध्ययन क्या है?
"आपके दिमाग (मस्तिष्क) में यह बात बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए कि आप अमुक पुस्तक पढ़ क्यों रहे हैं।"
सचमुच, उन युवा विद्यार्थियों को यह विश्वास दिला पाना आसान काम नहीं था कि अध्ययन की भी कोई कला होती है, लेकिन एक महीने के लगातार सम्पर्क के बाद उनके पास मेरी बात को झुठलाने का कोई उपाय नहीं रह गया था। उन्हें यह मानना ही पड़ा कि अब किसी भी विषय को पढ़ने, देखने, समझने, अपने दिमाग में बनाये रखने तथा उसे दूसरों को बताने का उनका पूरा ढंग ही बदल चुका है। वह पब्लिक स्कूल इस बात का प्रमाण था कि सी.बी.एस.ई. की परीक्षा में उनके यहाँ का परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत रहा और वह भी प्रथम श्रेणी की बहुलता के साथ।
आप यह पुस्तक पढ़ रहे हैं। इसका मतलब ही है कि आपके पास अध्ययन करने का अपना अनुभव रहा है। मुझे नहीं मालूम कि आपको कभी यह बताया गया है या नहीं कि अध्ययन करना अपने-आप में एक कला है। यह सिर्फ कला ही नहीं, बल्कि एक विज्ञान भी है। जहाँ तक मेरा अपना अनुभव है, इस बारे में मैंने जितने लोगों से बातें की हैं, लगभग सभी ने मुझे निराश ही किया है। मुझे उनका यही उत्तर मिला कि 'हम पढ़ते रहे हैं।
बस इतना ही। अब इसमें जानने जैसी बात क्या है', लेकिन मैं बचपन से ही इसके प्रति बेहद उत्सुक रहा हूँ। मेरे ऐसे साथी मुझे हमेशा बहुत सम्मोहित करते रहे हैं, जो पढ़ते मुझसे कम थे, लेकिन नम्बर मुझसे ज्यादा लाते थे। हालाँकि पढ़ता मैं भी तो बहुत ज्यादा नहीं था, लेकिन उनके अनुपात में नम्बर अधिकांशतः कम ही आए। मेरे लिए शुरू से ही यह समस्या ब्रह्माण्ड के रहस्य को जानने की समस्या से कम नहीं रही, लेकिन जब किसी समस्या के प्रति जिज्ञासा बहुत अधिक बढ़ जाती है, तो आप ही उसका समाधान निकालने वाले बन जाते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। समाधान निकालने के लिए मैंने अपने अनुभव के साथ-साथ सैकड़ों सफल और असफल लोगों के भी जीवन्त अनुभवों को आत्मसात किया। उनसे कुछ निष्कर्ष निकाले। उन निष्कर्षों को प्रयोग की कसौटियों पर कसा और फिर जो इन कसौटियों पर खरे उतरे, उन्हें मान लिया। मैं यहाँ अपने कुछ ऐसे ही अनुभवसिद्ध तथ्यों को आप सबके साथ बाँटने जा रहा हूँ। मेरा पूरा विश्वास है कि ये बातें आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होंगी, बशर्ते कि आप इन्हें अपने अध्ययन की पद्धति में, जितना भी सम्भव हो सके, उतार सकें।
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