होली का त्यौहार 2 दिन का होता है पहले दिन पूर्णिमा की रात को होली का जलाई जाती है और अगले दिन दुल्हेंडी के दिन होली का रंग खेला जाता है होलिका दहन से पहले उसकी पूजा की जाती मान्यता है कि होलिका दहन के वक्त विधिवत पूजा अर्चना करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है और आपके परिवार के लोगों की हर बुरी नजर से रक्षा होती है आज हम आपको बता रहे हैं कि होलिका दहन की पूजा में क्या सामग्री की आवश्यकता होती है और होलिका दहन की पूजा विधि होलिका दहन की पूजा सामग्री में कुछ वस्तुओं का होना बहुत जरूरी माना जाता है इस होली की पूजा जरूरी का ज्ञान की पूजा सामग्री में कच्चा सूती धागा नारियल गुलाल पाउडर रोली अक्षत धूप गाय के गोबर से बने गुलरिया बतासे नया आयोजन की साबुत हल्दी का टुकड़ा और एक कटोरी पानी में सभी वस्तुओं को एक थाली में सजाकर पूरे परिवार के साथ जाकर होलिका मैया की पूजा करें होलिका दहन की पूजा हुई स्थान और सही दिशा देखकर बैठे पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए गाय के गोबर से होलिका और पहलाद की प्रतिमा बनाकर थाली में रोली फूल मूंग नारियल अक्षत साबुत हल्दी बताशे कच्चा सूत फल बताशे और कलश में पानी भर कर रख ले इसके बाद होलिका मैया की पूजा करें साथ ही भगवान नरसिंह और विष्णु जी का नाम फिर प्रहलाद का नाम लेकर अनाज के दाने और फूल अर्पित करें इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की साथ भूमिका की प्रतिमा करें और अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करे होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम सप्तधान्य नारियल मुट्टे चना चावल अधिक चीजें प्रकट कर दे।
होली का त्यौहार 2 दिन का होता है पहले दिन पूर्णिमा की रात को होली का जलाई जाती है और अगले दिन दुल्हेंडी के दिन होली का रंग खेला जाता है होलिका दहन से पहले उसकी पूजा की जाती मान्यता है कि होलिका दहन के वक्त विधिवत पूजा अर्चना करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है और आपके परिवार के लोगों की हर बुरी नजर से रक्षा होती है आज हम आपको बता रहे हैं कि होलिका दहन की पूजा में क्या सामग्री की आवश्यकता होती है और होलिका दहन की पूजा विधि होलिका दहन की पूजा सामग्री में कुछ वस्तुओं का होना बहुत जरूरी माना जाता है इस होली की पूजा जरूरी का ज्ञान की पूजा सामग्री में कच्चा सूती धागा नारियल गुलाल पाउडर रोली अक्षत धूप गाय के गोबर से बने गुलरिया बतासे नया आयोजन की साबुत हल्दी का टुकड़ा और एक कटोरी पानी में सभी वस्तुओं को एक थाली में सजाकर पूरे परिवार के साथ जाकर होलिका मैया की पूजा करें होलिका दहन की पूजा हुई स्थान और सही दिशा देखकर बैठे पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए गाय के गोबर से होलिका और पहलाद की प्रतिमा बनाकर थाली में रोली फूल मूंग नारियल अक्षत साबुत हल्दी बताशे कच्चा सूत फल बताशे और कलश में पानी भर कर रख ले इसके बाद होलिका मैया की पूजा करें साथ ही भगवान नरसिंह और विष्णु जी का नाम फिर प्रहलाद का नाम लेकर अनाज के दाने और फूल अर्पित करें इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की साथ भूमिका की प्रतिमा करें और अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करे होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम सप्तधान्य नारियल मुट्टे चना चावल अधिक चीजें प्रकट कर दे।
Post a Comment