में देखी जाती है. यह बीमारी तब होती है जब रोगाणु मूत्र प्रणाली को संक्रमित कर देते हैं. इसका असर किडनी, ब्लैडर और इन्हें जोड़ने वाली नलिकाओं पर भी पड़ता है।
यूटीआई के 3 लक्षण क्या हैं? पेशाब करते समय दर्द या जलन होना। जल्दी पेशाब आना। ब्लैडर खाली होने के बावजूद पेशाब करने की इच्छा महसूस होना। मूत्र में खून आना इत्यादि।
लिवर रोग के बहुत से लक्षण नहीं होते हैं। इस स्थिति में देखे गए लक्षण हैंः • आंखें और त्वचा जो पीली दिखाई देती है (पीलिया) • सूजन और पेट में दर्द टखनों और पैरों में एडिमा त्वचा की खुजली • गहरे रंग का मूत्र • हल्के रंग का मल • लंबे समय तक थकान मतली या दस्त कम भूख • आसान आघात इत्यादि।
जोड़ो में दर्द के कई कारण हो सकते है। जैसे बहुत अधिक काम करना, वायरस से होने वाला बुखार, कमजोरी, कुपोषण या किसी विशेष मुद्रा में बैठे रहने से थकान, संक्रमण, चोट/मोच, प्रतिरक्षित तंत्र की खराबी, ऐलर्जी संबंधी (दवाओ) से, बढती उम्र और विकृत बीमारीयों के कारण हो सकता है। चबनी हड्डी (कार्टलिज) की खराबी के कारण जोड़ो में दर्द होता है।
पथरी की वजह से जो सबसे आम लक्षण उभरते हैं वो है पेट या उसके निचले हिस्से में दर्द का होना जो कमर तक बढ़ सकता है। पत्थर निकालते समय दर्द का होना सबसे आम है। इसमें गंभीर कष्टदायी दर्द की लहरें भी उठतीं हैं जिसे 'वृक्क शूल' कहा जाता है जो 20-60 मिनट तक रहता है। पेशाब करने में कठिनाई, मूत्र में रक्त या उल्टी हो सकती है।
मानसिक रोगों की समस्याएं हर दिन बढ़ रही हैं. इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं। उबाऊ दिनचर्या, आपाधापी भरी जिंदगी, जटिल होती कैरियर की समस्या, छात्रों को प्रभावित करते मानसिक तनाव एवं अवसाद के लिए मिलें. होम्योपैथी में हर तरह के मानसिक रोग का सफल उपचार संभव है।
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