हर परिंदे की उड़ान में शोर नहीं होता. जो परिंदे जितनी सावधानी के साथ उड़ते हैं, वे दूर तक ऊंचाई में दिखते हैं और जो पंख फड़फड़ा कर अपने उड़ने की सूचना देते रहते हैं, वे निकट ही फुदकते रहते हैं. नयी उड़ान भरने वाले अधिकतर पंछी ऐसे ही होते हैं. अनुभवी बलशाली होते हैं और चुपचाप मंजिलें तय करते रहते हैं. यह आदत मनुष्य में भी देखने को मिलती है. दिखावा और डींगे हांकने वाले अंततः लुभावनी बातों के जाल में फंसा लेते हैं और सुनने वाले को लगता है, यह तो बड़ा आदमी है. परंतु ऐसा कुछ नहीं होता है. कक्षा में भी ऐसे बच्चे मिल जाते हैं जो पढ़ाई छोड़ बाकी काम मुस्तैदी से करते हैं. जब तक परीक्षा का नतीजा नहीं आता, उन्हें कक्षा का सबसे स्मार्ट विद्यार्थी माना जाता है. एक श्रेणी बेपर परिंदों की भी होती है, यानी अभी पंख निकले ही नहीं और उड़ने लगे. जाहिर सी बात है कि इनके गिरने का डर सर्वाधिक होता है.
समाज वातावरण तैयार करता है, जिसमें अच्छे-बुरे, तेज-मंद, छोटे-बड़े सभी के लिए जगह होती है. सोच-विचार और देख-परख कर व्यवहार की प्रेरणा मिलती है. एक पुरानी कहावत है, 'अधजल गगरी छलकत जाए.' ज्ञान जितना छिछला होगा, उतना ही स्तरहीन होगा और स्वयं को ज्ञानवान बताने की होड़ मची रहेगी. गहरा ज्ञान, अध्ययन से उपजता है. यह आत्मबोध करवाता है. ज्ञानवान लोगों में विनम्रता होती है. वे विवेकशील व गंभीर होते हैं. अपने ज्ञान का परिचय इधर-उधर नहीं बांटते फिरते. इसलिए जब मन में अहंकार होने लगे, तो एक बार उन लोगों का स्मरण अवश्य कर लेना चाहिए जो हमसे भी बड़े हैं. हर विषय के ज्ञाता यहां मौजूद हैं और उनमें भी एक-दूसरे से श्रेष्ठतर तो मिल जायेंगे पर श्रेष्ठतम की जगह खाली ही रहेगी. इसी श्रेष्ठतम को पाने के लिए लोग मेहनत करते हैं.
जीवन की प्रतियोगिता कोई दौड़ नहीं है, जिसमें कोई प्रथम आ जाए, कोई द्वितीय. यह तो निरंतर चलने वाली एक ऐसी प्रतियोगिता है जो कभी समाप्त नहीं होती. कोई नौकरी में सफल होता है, कोई परिवार के भरण-पोषण में. किसी क्षेत्र में हम विफल भी हो जाते हैं, पर दूसरे क्षेत्र की सफलता संतुलन बना देती है. इसलिए होड़ और हदस से भरे इस युग में अपने बच्चों को यह शिक्षा अवश्य दें कि एक क्षेत्र में यदि वे सफल नहीं होते हैं, तो मायूस न हों. कोई अन्य क्षेत्र उनके लिए अधिक उपयोगी हो सकता है. राह बदल कर देखिए, कोई और मंजिल इंतजार करती होगी. परंतु मनोनुकूल पथ न मिलने पर झूठ बोल कर छिपाना या जबरन श्रेष्ठ साबित करने की कवायद मूर्खता कहलायेगी. इसलिए अपनी योग्यता के अनुसार ही लक्ष्य निर्धारण करें.
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