12वीं के बाद ट्राइबल स्टडीज की फील्ड में है स्कोप
अगर आप 12वीं के बाद कल्चरल एक्सप्लोरेशन और सोशल इम्पैक्ट के लिए काम करना चाहते हैं तो आपको आगे की पढ़ाई ट्राइबल स्टडीज में करनी चाहिए। इसमें आपको भारत के स्वदेशी समुदायों की संस्कृतियों, परंपराओं और चुनौतियों के बारे में पता चलेगा। कल्पना करें कि आप देश के हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा कर रहे हैं जहां के समुदाय सदियों से वहां रहते आए हैं और वे पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को संरक्षित कर रहे हैं। ट्राइबल स्टडीज (जनजातीय अध्ययन) सिर्फ एक विषय नहीं है बल्कि यह उन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ताने-बाने को समझने की यात्रा है जो इन समुदायों को एक साथ बांधते हैं। जनजातीय अध्ययन में काम करने का मतलब हाशिये पर मौजूद समुदायों के समर्थन का हिस्सा बनना है। चाहे वह नीति-निर्माण से हो, शिक्षा से हो या विकास परियोजनाओं के माध्यम से हो। अगर आप रिसर्च में भी रुचि रखते हैं तो इसमें रिसर्च और एकेडमिक्स के भी अच्छे अवसर हैं। इसमें आप एंथ्रोपोलॉजी, हिस्ट्री, लिंग्विस्टिक्स के बारे में सीख सकते हैं। इसमें करिअर बनाने के लिए आप एंथ्रोपोलॉजी, सोशियोलॉजी और हिस्ट्री जैसे विषयों में यूजी की पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा आप पीजी प्रोग्राम्स के साथ ट्राइबल स्टडीज में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
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ये संस्थान कराते हैं कोर्स
• डीयू - यहां का सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज इसका कोर्स कराता है। • इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी (आईजीएनटीयू), मध्य प्रदेशः यह संस्थान आदिवासी संस्कृति, विकास और कानून में अपने विशेष पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता है। यहां आदिवासी जीवन में थ्योरी के अलावा प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है। • कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS), ओडिशाः यह दुनिया के सबसे बड़े आदिवासी आवासीय विद्यालयों में से एक है। आदिवासी समुदायों पर केंद्रित कई कोर्सेज उपलब्ध हैं। साथ ही यहां छात्रों को रिसर्च के अवसर भी दिए जाते हैं।
• नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (एनईएचयू), मेघालयः यहां
आपको भारत की जनजातियों के बारे में गहरी जानकारी मिलेगी। यहां
एंथ्रोपोलॉजी, हिस्ट्री और एथ्नोग्राफी में रिसर्च के अवसर भी देता है।
• टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेजः यह संस्थान अपने
सोशल वर्क और डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के लिए जाना जाता है। यहां छात्रों को ट्राइबल स्टडीज में फील्डवर्क का भी अवसर मिलता है। • यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबादः यहां एंथ्रोपोलॉजी में स्पेशलाइज्ड प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां छात्रों को इनोवेटिव, रिसर्च प्रोजेक्ट्स भी दिए जाते हैं।
इन सेक्टर्स में हैं अवसर
• एकेडमिक और रिसर्च फील्डः आप विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों में पढ़ा सकते हैं साथ ही यहां रिसर्च भी कर सकते हैं। इस फील्ड के स्कॉलर्स ट्राइबल इश्यूज को सुलझाने पर काम करते हैं। • गवर्नमेंट सेक्टरः इसमें आप आदिवासी कल्याण और विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने वाले सरकारी विभागों के साथ काम कर सकते हैं। जनजातीय मामलों के मंत्रालय या राज्य जनजातीय विभागों में जनजातीय समुदायों को लाभ पहुंचाने वाले कार्यक्रमों को लागू करने पर काम कर सकते हैं।
• एनजीओः इस फील्ड में एनजीओ के साथ भी काम कर सकते हैं जो जनजातीय समुदायों के लिए वकालत, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान दे रहे हैं। ये संगठन अक्सर स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ऐसी परियोजनाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करते हैं जो आदिवासी लोगों को सशक्त बनाती हैं।
• सीएसआरः सीएसआर पहल में भाग ले सकते हैं जो आदिवासी क्षेत्रों के सतत विकास पर केंद्रित है। कई संस्थानों में ऐसे प्रोफेशनल्स की मांग रहती है जिनकी ट्राइबल स्टडीज में विशेषज्ञता है।
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