दोस्त यानी वो व्यक्ति जो हमेशा आपसे प्यार करे- चाहे आप अपूर्ण हों, भ्रमित हों या गलत हों...
फ्रेंडशिप-डे पर विशेष
दोस्ती कभी आश्चर्यचकित करती है तो कभी रुलाती और गुदगुदाती है। प्रेमचंद से लेकर ओ. हेनरी तक ने अपनी कहानियों में दुनिया के इस सबसे ताकतवर रिश्ते को बयां किया है। आज पढ़िए साहित्य में मौजूद दोस्ती की कुछ अनूठी मिसालें...
1. प्रेमचंद -
पंच परमेश्वर
दोस्ती मन का मैल धो देती है सच्चाई पर चलना सिखाती है
प्रेमचंद की कहानी दोस्ती और सिद्धांत के बीच का इंद्र सामने लाती है। जुम्मन शेख की एक बूढ़ी खाला है। जुम्मन ने खाला की सारी जायदाद हड़प ली। इसलिए खाला ने पंचायत बुला ली। खाला ने फैसला सुनाने के लिए जुम्मन के बचपन के दोस्त अलगू चौधरी को पंच के रूप में चुना। अलगू दुविधा में है। दोस्त पड़ जाता दोस्त के खिलाफ कैसे फैसला सुनाऊंगा। लेकिन अलगू जुम्मन के खिलाफ फैसला सुनाता है। इस बीच अलगू अपना एक बैल समझू साहू को बेच देता है। लेकिन समझू उस बैल के दाम चुकाता, उसके पहले ही बैल मर जाता है और समझू बैल के पैसे देने से इनकार कर देता है। अब अलगू इसके खिलाफ पंचायत जाता है। लेकिन समझू जानता है कि जुम्मन और अलगू अब दोस्त नहीं रहे। इसलिए वह जुम्मन को पंच के रूप में चुनता है। जुम्मन को लगता है कि बदला लेने का मौका मिल गया। लेकिन अंत में उसके मन में विवेक जाग्रत होता है और वो फैसला सुनाता है कि समझू अलगू को बैल का मूल्य चुकाएं। फैसला सुनकर अलगू रोने लगता है। इन आंसुओं के साथ दोस्तों के मन का मैल धुल जाता है और मित्रता की मुरझाई बेल फिर लहलहाने लगती है।
2. मन्नू भंडारी / महाभाज
दोस्त की हत्या के खिलाफ सत्ता से संघर्ष की दास्तान
राजनीतिक तंत्र पर कटाक्ष करता मन्नू भंडारी का उपन्यास
'महाभोज' वैसे तो भ्रष्ट भारतीय राजनीति के कटु यथार्थ
को पेश करता है, लेकिन
दो दोस्तों की कहानी भी
साथ चलती है। दोस्त
भी कैसे? एक वह जो
उपन्यास की शुरुआत में
ही मारा गया है- सरोहा
गांव का बिसेसर उर्फ
बिसू। सिस्टम बसेसर
की मौत को खुदकुशी
साबित करने में जुट जाता है, लेकिन उसके खास दोस्त बिंदा
को पूरा भरोसा है कि बिसू को मारा गया है, क्योंकि गांव में
कुछ अरसा पहले हुई आगजनी के उसके पास सबूत थे। बिंदा
इस बात से ज्यादा व्यथित है कि दोस्त की मौत के असली
कारण तलाशने के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही उस
पर राजनीति कर रहे हैं। जब मुख्यमंत्री अपनी बातों से गांव
वालों का मन बहलाने का प्रयास करते हैं तो बिंदा उनसे दो
टूक कहने से भी नहीं डरता, 'बातों से बहकाइए मत। बिसू
की मौत का हिसाब लेकर ही रहूंगा। पाई-पाई का हिसाब। बिंदा
डरेगा भी नहीं... चुप भी नहीं रहेगा...।' बिसू के हत्यारों को
तलाशने की बिंदा की जद्दोजहद जारी रहती है। लेकिन सिस्टम
अंततः बिंदा को ही बिसू का हत्यारा साबित कर देता है।
3. आर. के. नारायण / स्वामी एंड फेंड्स
बचपन की निःस्वार्थ दोस्ती अच्छे जीवन की नींव रखती है
आर.के. नारायण की कहानी 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' बचपन की निःस्वार्थ और बेफिक्र दोस्ती को सामने लाती है। स्वामी एक दस साल का बच्चा है। वह अल्बर्ट मिशन स्कूल में पढ़ता है। उसकी क्लास में एक नए बच्चे का प्रवेश होता है, नाम है राजम। राजम मालगुड़ी के एक पुलिस अफसर का लड़का है। वो मद्रास के इंग्लिश मीडियम स्कूल से आया है। राजम के रौब और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर स्वामी के मन में उससे दोस्ती करने की तीव्र इच्छा जाग्रत होती है। स्वामी उससे दोस्ती करने का कोई मौका नहीं गंवाता। उसकी तारीफ करता है और उसका दोस्त बन जाता है। लेकिन स्वामी के पुराने दोस्तों को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आती। वो स्वामी के इस बर्ताव को देखकर उसे 'राजम की पूंछ' कहने लगते हैं। इस पर स्वामी उनसे झगड़ पड़ता है। स्वामी का एक और बहुत पुराना दोस्त है मणि, जो राजम से बहुत ईर्ष्या रखता है और उसको लड़ाई के लिए चुनौती देता है। राजम ये चुनौती स्वीकार कर लेता है। अगले दिन दोनों नदी के किनारे मिलते हैं। मणि को डराने के लिए राजम अपने पिता की बंदूक लेकर आता है। थोड़ी बहस के बाद राजम मणि से कहता है, मुझे दोस्ती में ऐतराज नहीं। झगड़ा भूलकर तीनों दोस्त बन जाते हैं।
4. उपेन्द्र किशोर राय / गूपी गाइन, बाघा बाइन दोस्ती आपके अवगुणों को भी सदगुणों में बदल देती है
उपेन्द्र किशोर राय की ये बंगाली कहानी रोचक भी है और दोस्तों की मस्ती को भी सामने लाती है। गूपी गायक बनना चाहता है, लेकिन वह बहुत ही बेसूरा गांता है। उसका भयानक गाना सुनकर उसे गांव से बाहर कर दिया जाता है। जंगल में उसकी मुलाकात बाघा से होती है। बाघा भी अपने गांव से निकाल दिया गया है, क्योंकि वह बहुत खराब ड्रम बजाता है। लेकिन जंगल में उनका गाना सुनकर भूत खुश हो जाते हैं और वे उन्हें तीन वरदान देते हैं। वे ताली बजाकर भोजन और कपड़े पा सकते हैं और जादुई चप्पलों से उड़कर कहीं भी जा सकते हैं। उन्हें अच्छा संगीतकार बनने का वरदान भी मिल जाता है। दोनों शुंडी राज्य में चले जाते हैं, जहां राजा उन्हें दरबार में संगीतकार बना लेता है। उधर हल्ला का राजा शुंडी पर हमला करने की साजिश रचता है। गूपी और बाघा हमला रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन उन्हें पकड़ लिया जाता है। किंतु हमले के पहले दोनों अपने संगीत से सेना को गतिहीन कर देते हैं। संगीत की शक्ति से वो भूखे सैनिकों के लिए भोजन का इंतजाम कर देते हैं। सैनिक लड़ाई भूल जाते हैं। यद्ध टल जाता है और दोनों दोस्तों की शादी शुंडी व हल्ला के दोनों राजाओं की बेटियों से हो जाती है।
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